Aniket Kumar Gupta {Bhaarat} Kanpur

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धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```पिता की खुशियां बन ```अपने माँ के काम में हाथ बटाती है```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
घर में उछल-कूद कर अपनी माँ को भी उसके बचपन में लौटती हैं```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
जीवन के हैं दुःख अनंत ```अनंत दुखों को ह्रदय में छिपा सहनशीलता का पाठ पढ़ाती है``` धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
बन कर के बहु नए घर एक``` एक नईं दुनिया में करती है प्रवेश``` जहाँ शुरू होता है तेरा नया जीवन``` जीवन कठिन``  कठिन जीवन  व्रत विशेष```
 
त्याग करके सुख अपना ```अपनी खुशियां सारी``` जीवन कीं गाडी का मजबूत पहिया भी बन जाती है नारी``
 
फिर माँ बन , गुरु रूप में प्रेम वात्सल्य  संग सुनाती है ज्ञान की वानी ````तो कभी बन दादी नानी ``` नाती पोतो को सुनाती है कहानी मनमोहक मधुर सुहानी ```
 
भुला कर अपनी सारी खुशियां```खुशियां सारी अपने बच्चो पर लुटाती है```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
सीता बन ``वन में राम का साथ तुमने ही निभाया``` ले एक तिनका रावण को अपने सतित्व से तुमने ही हराया```
 
सावित्री बन`` सत्यवान के  जीवन में प्रान तुम्ही हो लायी`` लक्ष्मीबाई बन अंग्रेजो को उनकी नानी तुम्ही ने है याद दिलाई````
 
बन पन्ना धाय राज्य की रक्षा को अपने``` अपने पुत्र की तुम्ही ने  है दी कुर्बानी````हे उर्मिला कठिन बिछोह था तेरा```तेरे त्याग का जगत में नहीं है कोई भी सानी```
 
बन इंदिरा गाँधी```पाटिल प्रतिभा```प्रतिभा से अपनी ``` अपने देश का तुम्ही ने बढ़ाया है मान```तो ओलंपिक में बन पी टी ऊषा```देश को तुम्ही ने दिलाया है सम्मान````
 
मदर टेरेसा बन नारी ही दूसरो के दुःख दर्द को हसतें-हसतें अपने गले लगाती है`` धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
पर आज इस नवयुग``नवरंग में तूने अपना वास्तविक रंग- रूप है भुलाया`` संग पुरुषो के कंधे से कन्धा मिलाने खातिर``गुण क्या उनके अवगुणो को भी तूने है अपनाया```
 
बड़ी ही पावन पवित्र है तेरी छवि```छवि पावन वो तेरी ,कहीं बिखर न जाये``` अति अनुपम है तेरी गाथा```` गाथा अनुपम वो तेरी ,कहीं  ठहर न जाये````
 
याद रख पुरुष नहीं कहलाता है देव``` पर एक नारी ही देवी कहलाती है``धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
जीवन के हैं रूप अनेक ``` अनेक रूपो में ले करके रूप नेक`` कभी प्रेम वात्सल्य ``` तो कभी चामुंडा की मूरत बन दिखलाती है```
 
धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
अनिकेत कुमार की कलम नारी की महिमा आज बतलाती है`` धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```

सभ्यता का मुखौटा Read more
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सभ्यता का मुखौटा होता हर किसी को प्यारा, इसे लगाये जो जो होता वो वो हर किसी की आँख का तारा

बातें होनी चाहिए, मन मोहक प्यारी और लच्छेदार , सच्ची बातें , सच्ची भावना का मोल नहीं आज की सभ्य दुनिया में है वो सारी बेकार

दिल सें करो कुछ ही की इज्ज़त पर जुबां से हर किसी की इज्ज़त कर कें दिखलाओ, लोगों की बातों में बात मिला, लोगो को उनके दिल की सुना सबके प्यारे चहीते बन जाओ

पीठ पीछें बोलो चाहे बुरा जितना , मुह पर तुम करो बड़ाई ,हर रीत से रीत यही भली, रीत यही आज सभ्य कहलाई ,

कोई देख ना पाएं, समझ ना पाए, सभ्यता कें गोरे मुखौटे कें पीछे छिपा चेहरा काला,हर कोई है सभ्य यहाँ, हर कोई हैं सभ्यता के मुखौटे वाला

अब और भला इज्ज़तदारों की महफ़िल में हम किस इज्ज़तदार पर हम क्या क्या इलज़ाम लगाएं’  दुनिया की इसी सभ्यता और इमानदारी को ही तो देख आज ये अनिकेत कुमार खुद को बेईमान और असभ्य बाताये

खुद को बेईमान और असभ्य बनाये

 

year -2011

हां मैं चुप हूं, Read more
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हां मैं चुप हूं, ऐसा नहीं कुछ कहने को है नहीं, पर इस भीड़ में कोई अपना दिखता नहीं, सो मैं चुप हूं।

दिल में मेरे भी उठती आवाज़ है, साझा करने को लोगो से कई राज़ है, पर मैं चुप हूं।

मन में लोगो सें कहनें को कई अरमान हैं, दिल में उठता बातों का एक तूफान है, पर मैं चुप हूं।


ना शब्दों का अभाव है, ना चुप रहना मेरा स्वभाव है पर मैं चुप हूं।

लगता है कभी लोगो से दिल की अपने मैं कहूं, फिर लगता है यूं हीं ख़ामोश चुप मैं रहूं , सो मैं चुप हूं।

साथी कोई आज साथ नहीं, किसी दोस्त का हाथ, आज मेरे हाथ नहीं, सो मैं चुप हूं।


पर दिन फ़िर वो आएंगे, जब फिर हम मुस्कुराएंगे, 
आज अंधेरा घना है तो क्या, आज सूरज छिपा है तो क्या,
बादल एक दिन फिर छट जाएंगे, फिर हम मुस्कुराएंगे।


फिर से दोस्तो का साथ अपना होगा , दोस्तो की टोली का सपना अपना होगा,

तब दिल की अपने मैं कहूंगा, तब यूं ना मौन मैं रहूंगा,

हर बात फिर ज़ुबां पर आएगी, अपनी हर सोच  शब्दों में फिर ढल जाएगी,

दोस्तों में तब कहकहे मैं फिर लगाऊंगा, अपनी हर सोच को बिन सोचे सबसे बताऊंगा,


पर तब तक के लिए मैं चुप हूं, हां मैं चुप हूं।।

 

~*~ अनिकेत कुमार {भारत} ~*~   

~*~ 15/04/2019 ~*~   

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1 . बहाने बहुत थें 2 . आज भी ये दिल``` 3 . ख़ामोशी महज़ ख़ामोशी नहीं , 4 . काश कोई एक लम्हा होता 5 . जी रहां हूं अकेले, 6 . हम भी अच्छे हो गए 7 . एक अतीत 8 . कभी जो तुम पास हमारें थें` 9 . ख़ामोश नहीं रहतीं आँखें``आंखें भी बहुत कुछ कह जातीं हैं``` 10 . बन परवाना शमा की ओर जलने ना जाऊंगा```` 11 . यूँ ना देखो दर्पण को``` 12 . हम तो करेंगें इन्तज़ार 13 . कहने को तो बहुत कुछ है 14 . जी रहा था तब तक 15 . कुछ सवाल 16 . ख़ुश था तब तक. 17 . फिर चला हुं वीराने में 18 . गुमनामी ही हमारी पहचान हैं 19 . मौन पर मैं रहता हूं.. 20 . ना था छोटा तब तक 21 . बहुत ही गहरा एक राज़ हूं मैं... 22 . वो अनिकेत कहां हम है। 23 . बहुत से मिले हुनर, 24 . ख्वाबों में ही जी लेता हूं ... 25 . मयस्सर जो होती 26 . पर मैं ना बदला 27 . जागती आंखों से देखें जो सपने, 28 . गुमनामी 29 . दूर उन यादो से हूँ मगर 30 . एक बार मोहब्बत कर बैठें थें 31 . फिर एक शाम ढली`````` फिर तेरी याद आयी 32 . कभी जो तुमसे नज़रे मिली 33 . दिल में उठता है दर्द``` आतीं हैं जब यादें बेदर्द``` 34 . हमने तुमको चाहा कितना ये तुम क्या जान पाओगें 35 . जब साथ चले तो लगा साथ है निभाना 36 . जिन्होंने दिया हैं ज़ख़्म ला कर के वही दें मरहम``` 37 . ज़िन्दगी किस मोड़ से गुजरी 38 . मान के दुनिया तूझे 39 . कोई तो आस पास रहता है 40 . अनगिनत इच्छाएं मन की 41 . उठो चलो हमें चलना है 42 . इतनी जल्दी भी क्या है 43 . फिर चला हूं , अतीत में मैं, 44 . इन राहों से तुम भी हो अनजान 45 . कभी कुछ था देखा तुममें 46 . भविष्य बनाने की ख्वाहिश थी 47 . दिन वो फिर आएंगे 48 . मुट्ठी में बंद किया था वक़्त को, 49 . वक़्त और मोड़ All posts