पुनः उठी वो बात पुरानी, पुनः उठी वो बात पुरानी,
वही राम जन्म भूमि- बाबरी मस्जिद की कहानी |
पुनः उठी वो बात पुरानी, पुनः उठी वो बात पुरानी,
हिन्दू मुस्लिम फिर लडेंगे, ले कर अपनी अपनी निशानी,
फिर बहेगा खून बन कर के पानी,
पुनः उठी वो बात पुरानी |
देखो अब किस जाती को पड़ती है, मूह की खानी,
राम अल्लाह कभी ना चाहे, हो उनके नाम पर जीवन हानी,
निर्दोषों का निर्मम खून बहाना, नहीं कहलाती ये कुर्बानी,
जिस ज़मी के नाम पर खून बहे, नहीं है वो जमी, पवित्र सुहानी,
पुनः उठी वो बात पुरानी, पुनः उठी वो बात पुरानी,
वही राम जन्म भूमि- बाबरी मस्जिद की कहानी |
जो धरम मानव को भरमाये,
जो धरम हिन्दू मुस्लिम कह, एक मानव से मानव को लडवाए,
जिस धरम के कारण एक मानव , एक मानव का रक्त बहाये,
फिर वो धरम – धरम नहीं, मात्र एक ढकोसला ही कहलाये,
ऐसे नीच धरम को देख , राम अल्लाह भी होते है, शर्म से पानी पानी,
पुनः उठी वो बात पुरानी, पुनः उठी वो बात पुरानी,
वही राम जन्म भूमि- बाबरी मस्जिद की कहानी ,
पुनः उठी वो बात पुरानी, पुनः उठी वो बात पुरानी|
अगर यही कलयुग का काला अँधेरा है,
तो कहाँ छिपा है, वो सूरज, आज जिसके इंतजार में रोता सवेरा है,
राम अल्लाह के अस्तित्व को, आज चहुदिश से विनाश ने घेरा है,
तो जो धरम आग लगायें , वो नीच धरम न तेरा है , न मेरा है,
असंख्य कुरीतियों का, यह धरम एक बसेरा है,
इस धरम का पालन, राम अल्लाह के संग इमानदारी नहीं, यह तो है बेईमानी,
पुनः उठी वो बात पुरानी, पुनः उठी वो बात पुरानी,
वही राम जन्म भूमि- बाबरी मस्जिद की कहानी ,
~*~ अनिकेत कुमार {भारत} ~*~