सभ्यता का मुखौटा होता हर किसी को प्यारा, इसे लगाये जो जो होता वो वो हर किसी की आँख का तारा
बातें होनी चाहिए, मन मोहक प्यारी और लच्छेदार , सच्ची बातें , सच्ची भावना का मोल नहीं आज की सभ्य दुनिया में है वो सारी बेकार
दिल सें करो कुछ ही की इज्ज़त पर जुबां से हर किसी की इज्ज़त कर कें दिखलाओ, लोगों की बातों में बात मिला, लोगो को उनके दिल की सुना सबके प्यारे चहीते बन जाओ
पीठ पीछें बोलो चाहे बुरा जितना , मुह पर तुम करो बड़ाई ,हर रीत से रीत यही भली, रीत यही आज सभ्य कहलाई ,
कोई देख ना पाएं, समझ ना पाए, सभ्यता कें गोरे मुखौटे कें पीछे छिपा चेहरा काला,हर कोई है सभ्य यहाँ, हर कोई हैं सभ्यता के मुखौटे वाला
अब और भला इज्ज़तदारों की महफ़िल में हम किस इज्ज़तदार पर हम क्या क्या इलज़ाम लगाएं’ दुनिया की इसी सभ्यता और इमानदारी को ही तो देख आज ये अनिकेत कुमार खुद को बेईमान और असभ्य बाताये
खुद को बेईमान और असभ्य बनाये
year -2011