Women's Day Special
Women's Day Special

धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```पिता की खुशियां बन ```अपने माँ के काम में हाथ बटाती है```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
घर में उछल-कूद कर अपनी माँ को भी उसके बचपन में लौटती हैं```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
जीवन के हैं दुःख अनंत ```अनंत दुखों को ह्रदय में छिपा सहनशीलता का पाठ पढ़ाती है``` धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
बन कर के बहु नए घर एक``` एक नईं दुनिया में करती है प्रवेश``` जहाँ शुरू होता है तेरा नया जीवन``` जीवन कठिन``  कठिन जीवन  व्रत विशेष```
 
त्याग करके सुख अपना ```अपनी खुशियां सारी``` जीवन कीं गाडी का मजबूत पहिया भी बन जाती है नारी``
 
फिर माँ बन , गुरु रूप में प्रेम वात्सल्य  संग सुनाती है ज्ञान की वानी ````तो कभी बन दादी नानी ``` नाती पोतो को सुनाती है कहानी मनमोहक मधुर सुहानी ```
 
भुला कर अपनी सारी खुशियां```खुशियां सारी अपने बच्चो पर लुटाती है```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
सीता बन ``वन में राम का साथ तुमने ही निभाया``` ले एक तिनका रावण को अपने सतित्व से तुमने ही हराया```
 
सावित्री बन`` सत्यवान के  जीवन में प्रान तुम्ही हो लायी`` लक्ष्मीबाई बन अंग्रेजो को उनकी नानी तुम्ही ने है याद दिलाई````
 
बन पन्ना धाय राज्य की रक्षा को अपने``` अपने पुत्र की तुम्ही ने  है दी कुर्बानी````हे उर्मिला कठिन बिछोह था तेरा```तेरे त्याग का जगत में नहीं है कोई भी सानी```
 
बन इंदिरा गाँधी```पाटिल प्रतिभा```प्रतिभा से अपनी ``` अपने देश का तुम्ही ने बढ़ाया है मान```तो ओलंपिक में बन पी टी ऊषा```देश को तुम्ही ने दिलाया है सम्मान````
 
मदर टेरेसा बन नारी ही दूसरो के दुःख दर्द को हसतें-हसतें अपने गले लगाती है`` धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
पर आज इस नवयुग``नवरंग में तूने अपना वास्तविक रंग- रूप है भुलाया`` संग पुरुषो के कंधे से कन्धा मिलाने खातिर``गुण क्या उनके अवगुणो को भी तूने है अपनाया```
 
बड़ी ही पावन पवित्र है तेरी छवि```छवि पावन वो तेरी ,कहीं बिखर न जाये``` अति अनुपम है तेरी गाथा```` गाथा अनुपम वो तेरी ,कहीं  ठहर न जाये````
 
याद रख पुरुष नहीं कहलाता है देव``` पर एक नारी ही देवी कहलाती है``धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
जीवन के हैं रूप अनेक ``` अनेक रूपो में ले करके रूप नेक`` कभी प्रेम वात्सल्य ``` तो कभी चामुंडा की मूरत बन दिखलाती है```
 
धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```
 
अनिकेत कुमार की कलम नारी की महिमा आज बतलाती है`` धर बेटी का रूप ``` लक्ष्मी घर में आती है```

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1 . बहाने बहुत थें 2 . आज भी ये दिल``` 3 . ख़ामोशी महज़ ख़ामोशी नहीं , 4 . काश कोई एक लम्हा होता 5 . जी रहां हूं अकेले, 6 . हम भी अच्छे हो गए 7 . एक अतीत 8 . कभी जो तुम पास हमारें थें` 9 . ख़ामोश नहीं रहतीं आँखें``आंखें भी बहुत कुछ कह जातीं हैं``` 10 . बन परवाना शमा की ओर जलने ना जाऊंगा```` 11 . यूँ ना देखो दर्पण को``` 12 . हम तो करेंगें इन्तज़ार 13 . कहने को तो बहुत कुछ है 14 . जी रहा था तब तक 15 . कुछ सवाल 16 . ख़ुश था तब तक. 17 . फिर चला हुं वीराने में 18 . गुमनामी ही हमारी पहचान हैं 19 . मौन पर मैं रहता हूं.. 20 . ना था छोटा तब तक 21 . बहुत ही गहरा एक राज़ हूं मैं... 22 . वो अनिकेत कहां हम है। 23 . बहुत से मिले हुनर, 24 . ख्वाबों में ही जी लेता हूं ... 25 . मयस्सर जो होती 26 . पर मैं ना बदला 27 . जागती आंखों से देखें जो सपने, 28 . गुमनामी 29 . दूर उन यादो से हूँ मगर 30 . एक बार मोहब्बत कर बैठें थें 31 . फिर एक शाम ढली`````` फिर तेरी याद आयी 32 . कभी जो तुमसे नज़रे मिली 33 . दिल में उठता है दर्द``` आतीं हैं जब यादें बेदर्द``` 34 . हमने तुमको चाहा कितना ये तुम क्या जान पाओगें 35 . जब साथ चले तो लगा साथ है निभाना 36 . जिन्होंने दिया हैं ज़ख़्म ला कर के वही दें मरहम``` 37 . ज़िन्दगी किस मोड़ से गुजरी 38 . मान के दुनिया तूझे 39 . कोई तो आस पास रहता है 40 . अनगिनत इच्छाएं मन की 41 . उठो चलो हमें चलना है 42 . इतनी जल्दी भी क्या है 43 . फिर चला हूं , अतीत में मैं, 44 . इन राहों से तुम भी हो अनजान 45 . कभी कुछ था देखा तुममें 46 . भविष्य बनाने की ख्वाहिश थी 47 . दिन वो फिर आएंगे 48 . मुट्ठी में बंद किया था वक़्त को, 49 . वक़्त और मोड़ All posts