अतयंत मनोहारी, मंगलकारी दिन है आया```चार बहन संग चार भाइयो ने जब ब्याह रचाया```
जनकपुरी में होने लगी चारो बहनो की विदाई```सिय संग उर्मिला मांडवी सुतकीर्ति अयोध्या आई```
फिर दिन आया एक सुहाना```तय हुआ राम को अवध नरेश है बनाना```
हर घर में दे यही बात सुनाई```राम बनेंगे हमारे रघुराई```
पर मायापति ने निज भक्तो पर अपने-अपनी ऐसी माया चलाई```मंथरा ने कैकई की मति फिराई```
उसको उसके दो वचनो की याद दिलाई```राम न बन पाए रघुराई````
अतयंत दुखदाई पीड़ाकारी दिन है आया```लखन सिय संग वन को जा रहे रघुराया````
अवधपुरी में हो रही दुःखद विदाई```विदा करने सगरी प्रजा घरो के बहार आई ````
विधना तेरा ये लेख किसी विधि , किसी के मन को ना भाया```स्वयं मायापति जा रहे है वन, सब पर चढ़ा के अपनी माया````
इस प्रसंग को अनिकेत कुमार ने है ऐसे बतलाया ```` जय जय जय हे रघुराया```
जय जय जय हे रघुराया```